Tuesday, 17 March 2015

Chaitra Navratri Me Maa Durga Ki Sadhna Kare | चैत्र नवरात्री में माँ दुर्गा की साधना करे

कृपया डोनेट करे - आपके योगदान किए हुए १०० रूपय में से ५०% रकम अनाथ बचो को तथा बाकि बचे ५०% माँ के चरणों में अर्पित किया जायेगा | आपका योगदान अति अमूल्य है | डोनेट करने के लिए निचे दिए गए बटन पर क्लीक करे |


                            

|| जय माता दी ||
|| ओम नमः शिवाय ||


चैत्र नवरात्री  में साधना करने से फल अत्यंत लाभदायक और तीव्र गती से प्राप्त होता है | इस बार की चैत्र नवरात्री २१ मार्च २०१५ हिंदू नव वर्ष और गुडी पड़वा के दिन शुरू होगी और २९ मार्च २०१५ को खत्म होगी  तो सभी साधक इस पर्व का लाभ उठाये | नवरात्री से एक दिन पहले अमावस्या का आगमन होगा जिससे इन ९ रात्रो की शक्ति और भी बढ़ जायेगी | नवरात्री में साधना करे लेकिन आच्छे कामो के लिए जिससे खुद का और दूसरों का भी भला हो, दूसरों का बुरा करने से खुद का भी बुरा होगा ये कभी ना भूलना | नवरात्री का मतलब है ९ रात्र, इन ९ रात्र और १० दिनों में माँ दुर्गा के ९ शक्ति रूपों की पूजा की जाती है | इन ९ रात्रि में अनेक तांत्रिक माँ दुर्गा और अन्य देवतओं की पूजा में लिन रहते है | इन ९ दिनों में साधना करना अतिशक्तिशाली मन जाता है क्यों की माँ दुर्गा को शक्ति का रूप माना जाता है |

नवरात्री के कुछ अत्यंत सरल नियम है, जिनका अगर पालन करके साधना की जाये तो निश्चित मनोवांछित फल मिलता ही है | मै आज आपके लिए नवरात्री के नियम, कुछ साधनाए और कुछ माँ दुर्गा सप्तशती के कुछ मन्त्र प्रस्तुत कर रहा हू तो आप आपके सुविधा और आपके जीवन में आने वाली परेशानियों के अनुसार कोई भी साधना चुन कर मन्त्र जाप आरंभ कर दे |

नवरात्री के नियम - चैत्र नवरात्री (२१ मार्च २०१५ से २९ मार्च २०१५ तक)

१. नवरात्री से एक दिन पहले से और ९ रात्रि के एक दिन बाद तक ब्रम्हचर्य का कड़क पालन करे, जिसका मतलब है आपको कुल मिलके ११ दिन ब्रम्हचर्य का पालन करना है |

२. जमीन पर ही सोना है | आप चद्दर बिचा कर उसपर सो सकते है |

३. दिन में सिर्फ १ या २ बार सिर्फ दूध और फलाहार करे | रात्रि में सिर्फ एक ही बार भोजन करे और भोजन में नमक और शक्कर का इस्तेमाल ना करे, मतलब आपको बेस्वाद खाना ही खाना है | ज्यादा तीखा खाना ना खाए | आप मांसाहारी भोजन नहीं कर सकते, पूर्णत शाकाहारी खाना खाए |

४. खुद का काम आपको खुद ही करना है चाहे वो कितना बड़ा या फिर कितना छोटा ही क्यों ना हो | दूसरों पर अपना काम ना थोपे |

५. झूट ना बोले, किसी भी प्रकार का या किसी से भी | ज्यादा ना बोले, जितना हो सके उतना मौन रहे और सारी शक्ति का साधना में उपयोग करे |

५. आचरण शुद्ध रखे | महिलाओ और बालिकाओ का आदर सन्मान करे |

६. स्त्री हो या पुरुष किसी का अपमान ना करे | गुस्सा ना करे और चिल्लाये नहीं | किसीके बारे में बुरा ना बोले अपनी जुबान साफ़ रखे |

७. माता पिता का आदर सन्मान करे, उन्हें उल्टा जवाब ना दे |


८. साधना (मन्त्र जाप) को शांत वातावरण में करे तो अत्यधिक प्रभावशाली होगा |

९. हो सके तो रोज मन्त्र जप के आखिर में हवन करे, अगर संभव ना हो तो आखरी दिन में जरुर हवन अनुष्ठान करे |

१०. कोई गलत काम ना करे, किसी गलत संगत में ना रहे, अपने आप को किसीसे ज्यादा स्पर्श ना करवाए और खुद भी ना करे इससे शक्ति बनी रहती है | जितना हो सके उतना बाहरी दुनिया को त्याग दे |

११. साधना करते समय बालक भाव से साधना करे, इसका मतलब यह है की माँ दुर्गा को अपनी माँ मान कर और अपने आप को उनका बेटा/बेटी मान कर साधना करे | अपने आप को माँ के चरणों में समर्पित कर दे और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए माँ से प्रार्थना करते रहे |

१२. जितना हो सके उतना लाल रंग का इस्तेमाल साधना में करे | प्रयोग अनुसार वस्त्र और आसान का रंग बदल सकते है |

१३. "ओम ऐं ह्रीं क्लीम चामुण्डाये विच्चे" का जितना हो सके उतना जप अवश्य करे, हो सके तो सुबह और रात को सोने से पहले १-१ माला जरुर जप ले |

१४. पाठ पूरा होने पर माँ चामुंडा के मन्त्र और निचे दिए गए कोई भी प्रयोग के मन्त्र की ११-११, २१-२१ या ५१-५१ बार हवन, आम की लकड़ी को जला कर, घी और हवन सामग्री का इस्तेमाल कर जरुर दे | अगर संभव हो तो काले तिल राल गुग्गल आदि का भी हवन में इस्तेमाल करे |

नवरात्री में साधना करने के लिए अत्यधिक शुभ काल -

वैसे तो नवरात्री मे साधक अपनी सुविधा अनुसार कभी भी साधना कर सकता है लेकिन निचे दिए गए समय में करे तो साधना तीव्र गती से पूर्ण होती है और जल्दी फल की प्राप्ति होती है |

१. ब्रम्ह महूर्त में - सुबह ४ बजे से ६ बजे तक
२. रात्रि १० बजे, ११ बजे या रात्रि १२ बजे के बाद

कुछ प्रयोग और साधनाए

हर इंसान को अलग अलग परेशानियों का सामना करना पड़ता है, किसी को प्यार नहीं मिलता तो किसी के पास पैसो की हमेशा तंगी बनी रहती है, किसी इंसान की अभिलाषा या इच्छा पूरी नहीं होती, इन सब कारणों के लिए ही मै आज कुछ अलग अलग प्रयोग प्रस्तुत कर रहा हू । साधक अपने इच्छा अनुसार प्रयोग चुन कर वो कर सकता है | साधक एक से अधिक प्रयोग भी कर सकता है | शक्ति साधनाओ का इस नवरात्री के पर्व में अत्यधिक महत्व पूर्ण स्थान होता है तो माँ की साधना करना अधिक लाभप्रद होगा, देवी शक्ति इस पर्व में चैतन्य होने के कारन साधना में सफलता मिलती ही है, इसमें कोई दो राय नहीं है |

१. धन प्राप्ति के लिए माँ भुवनेश्वरी साधना प्रयोग -
 

मन्त्र - "श्रीं ह्रीं श्रीं"

प्रयोग रात्रि में १० बजे के बाद कभी भी आरम्भ कर सकते है | दिशा उतर या पूर्व रहेगी | वस्त्र और आसान सफ़ेद रंग के हो | ऊपर दिए गए मन्त्र की ५१ मालाओ का जप स्फटिक माला से करना है | अपने सामने माँ भुवनेश्वरी का चित्र स्थापित कर दे और उनका पूजन कर के मन्त्र जाप आरंभ कर दे | मन्त्र जप खतम होने पर हो सके तो १०१ बार शुद्ध घी से हवन करे |

यह प्रयोग १ ही दिन का है लेकिन अगर आप चाहे तो पुरे ९ दिन कर सकते है, अगर आप ९ दिन तक कर ले तो आपको सभी दिशाओ से शुभ सन्देश जल्द ही प्राप्त होते है | साधना पूरी होते ही आपको धन प्राप्ति के नए मार्ग मिलने लगेंगे और आपके ऊपर माँ की कृपा दृष्टी बनी रहेगी |

२. माँ चंडिका बाधा निवारक साधना -

मन्त्र - "ओम चंडिके फू"


प्रयोग ३ रात्रि का है | प्रयोग रात्रि १२ बजे के बाद से कभी भी शुरू कर सकते है | दिशा दक्षिण रहे | आसान और वस्त्र लाल रंग के इस्तेमाल करे | माँ चंडिका की तस्वीर अपने सामने स्थापित कर उनका कुंकुम से पूजन करे और सरसों के तेल का दिया जलाये | माला काली हकिक की इस्तेमाल करे और ऊपर दिए हुए मन्त्र का ३१ माला जाप करे | जप खत्म होने पर १०१ बार सरसों के तेल से हवन करे |

इस प्रयोग से घर में किसी भी प्रकार की बाधाए हो तो उनका नाश हो जाता है और विजय की प्राप्ति होती है |

३. माँ दुर्गा सिद्ध बधामुक्ति धन-पुत्रादि प्राप्ति मन्त्र प्रयोग - 

मन्त्र - सर्व-बाधा-विनिर्मुक्तो धन-धान्य-सुतान्वितः | मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ||

इस मन्त्र का जप रोज १ माला करे | साधक चाहे तो मन्त्र जाप बढ़ा सकता है | आसान और वस्त्र लाल हो, माला स्फटिक की या रुद्राक्ष की हो | समय रात्रि १० बजे के बाद या सुबह ४ बजे क रहे | इस प्रयोग से मनुष्य के सारे बाधाओ का नाश होता है और धन और पुत्र की प्राप्ति होती है | 


४. माँ दुर्गा सर्वकल्याणकारी मन्त्र प्रयोग -

मन्त्र - सर्व-मंगल-मांगल्ये शिवे सर्वार्थ-साधिके | शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||

यह माँ दुर्गा का सर्व कल्याण करी और सिद्ध मन्त्र है और उनको अति प्रिय है | कोई भी शुभ काम करने से पूर्व इस मन्त्र का जप किया जाता है | इस मन्त्र का जप रोज १ या १ से आधिक माला करे | आसान, वस्त्र लाल रहे, जाप स्फटिक या रुद्राक्ष से करे | समय रात्रि १० बजे के बाद या सुबह ४ बजे क रहे |

५. दारिद्य-दुखः विनाश मन्त्र प्रयोग -

मन्त्र - दुर्गे स्मृता हरसी भितिम-शेष-जनतोह: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि | दारिद्र्य-दुःख-भय-हारिणी का त्वदन्या सर्वोपकार-करनाय सदा-द्रचित्ता ||

यथासंभव मन्त्र जाप करे, १ से अधिक करे तो अत्यधिक प्रभावशाली रहेगा, माला कोई भी इस्तेमाल करे तो चलेगा | आसान और वस्त्र लाल ही रहे | रात्रि १० और ब्रम्ह-महुर्त में सुबह ४ बजे जाप अत्यधिक लाभप्रद सिद्ध होगा |

६. तंत्रोक्त चामुंडा नवार्ण वशीकरण प्रयोग

मन्त्र - वष्ट ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे, वष्ट "अमुक" मे वश्यं कुरु कुरु स्वाहा

वशीकरण का नाम सुनते ही लोग इसे खराब नजर से देखते है अतः इन लोगो को लगता है की वशीकरण है अर्थ है काला जादू | वशीकरण का अर्थ है किसी के अपने अनुकूल बनाना उनका मन फेरना और उन्हें अपने प्रति प्यार का भाव जगाना | लेकिन कई लोग इस विद्या का गलत उपयोग करते है जिसके कारन वशीकरण कर्म का नाम खराब हो गया है |


हर इंसान किसी ना किसी से प्यार करता ही है, हर इंसान को किसी ना किसीसे इज्जत की आशा होती है, संघटन में काम करने वाले कर्मचारियों को अपने सह कर्मचारियों से मदत और इज्जत की आशा होती है इन सभी कारणों के लिए और आपसी प्रेम सम्बन्ध बढ़ाने के लिए इस नवार्ण मन्त्र का प्रयोग आपके लिए लाभ प्रद होगा |

यह मन्त्र माँ चामुंडा का स्वयंसिद्ध तंत्रोक्त मन्त्र  है, इसका गलत उपयोग कदा भी ना करे अतः यह आपको हानी पंहुचा सकता है |

मन्त्र जप से पहले स्नान कर ले शुद्ध हो जाये और लाल वस्त्र पहन ले फिर अपने घर में किसी शांत स्थान पर लाल आसान बिछा कर बैठ जाये | सर्व प्रथम गणेश पूजन और १ या अधिक माला मन्त्र जाप करे (ओम गं गणपतये नमः) और गुरु पूजन और १ या अधिक माला मन्त्र जाप करे अगर गुरु ना बनाया हो तो आप भगवान शिव को गुरु मान कर उनका पूजन करे और मन्त्र जप करे (ओम नमः शिवाय) और गणेश जी और अपने गुरु से साधना में सफलता हेतु आशीर्वाद ले | इसके बाद माँ दुर्गा का चित्र और माँ दुर्गा का सिद्ध यन्त्र अपने सामने स्थापित कर दे और उनका पंचोपचार पूजन करे माँ को कुंकुम लगाये, सरसों के तेल का दिया जलाये, अगरबत्ती या धुप जलाये तथ पश्च्यात जिसको वश में करना है उसका कोई चित्र अपने सामने रख दे, अगर चित्र ना हो तो उस व्यक्ति का मन ही मन ध्यान करते रहे और मन्त्र जपे | पूर्ण श्रद्धा भाव से एक ही बैठक में ऊपर दिए मन्त्र की २१ मालाये जाप करे | "अमुक" की जगह उस व्यक्ति का नाम ले जिसको आप वश में करना चाहते हो | मन्त्र जाप के समय अपने आसान से उठे नहीं और सिर्फ उसका ही ध्यान करे जिसको आप वश में करना चाहते है | मन्त्र जप पूरा होने पर माँ के चरणों में मन्त्र जाप समर्पित कर दे और उनसे साधना में सफलता की प्रार्थना करे |

इस प्रयोग के शुरुवात और आखिर में अगर आप माँ दुर्गा के सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का सम्पुट लगाये तो ये अत्यधिक प्रभावशाली हो जाता है, इसके लिए आप गणेश और गुरु पूजन के बाद एक बार और अंत में जप पूरा होने के बाद कुञ्जिका स्तोत्र का पाठ करना ना भूले |

७. सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र प्रयोग -

सुबह में ९ बार और रात्रि में ९ बार सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र  का पाठ करने से इंसान की हर अभिलाषा हर इच्छा निश्चित ही पूरी होती है |

स्नानादि कर पवित्र हो जाये फिर गणेश और गुरु पूजन कर ले | उसके बाद माँ चामुंडा (माँ दुर्गा) का पूजन कर ले फिर माँ के चित्र और यन्त्र के सामने "ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" की १ माला जाप कर ले उसके पश्च्यात माँ दुर्गा के सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का ९ बार पाठ करे |

ऊपर दिए गए किसी भी प्रयोग को करने से पहले सारे नियमों का पालन करे | स्नान करके ही प्रयोग को बैठे, जितना हो सके उतना लाल रंग का इस्तेमाल करे | हर प्रयोग के पहले और पूरा होने के बाद सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का सम्पुट लगाना ना भूले इससे आपका प्रयोग और शक्तिशाली बन जाता है | माँ को भोग अवश्य लगाये | प्रयोग के आखिर में नियम १४ के अनुसार हवन जरुर करे |

धन्यवाद

|| जय माता दी ||
|| ओम नमः शिवाय ||
 

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