Saturday, 28 March 2015

Remove Problems with Sankatmochan Hanuman Ashtak | संकटमोचन हनुमान अष्टक के पाठ से समस्याओं से मुक्ति पाए

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भगवान महाबली हनुमान, भगवान शिव के ११ वे रूद्र अवतार है, वे पवनपुत्र है | वे भगवान राम के परम भक्त है, जिन्होंने सात समुंदर पार कर भगवान राम की मदत की थी सीता मैया को ढूंड ने में | महाबली का रूप अत्यंत ही निराला है और सबसे अद्भुत भी है | भुत, प्रेत, पिसाच सब भगवान हनुमान से डरते है, और जो हनुमान जी की पूजा करते है उनकी सदैव रक्षा होती है |

संकटमोचन हनुमानाष्टक एक अद्भुत मन्त्र है, यह भगवान हनुमान की महिमा में पाठ किया जाता है | भगवान हनुमान को स्वास्थ्य और समृद्धि का देवता माना जाता है | जो भी हनुमान अष्टक का पाठ करता है वो उन्हें प्रिय हो जाता है, सिर्फ पाठ करने वाले को ही नहीं बल्कि पुरे परिवार के लिए ये लाभप्रद सिद्ध होता है | हनुमान अष्टक के नित्य पाठ से परिवार में शांति बनी रहती है, और परिवार के लोगो का स्वस्थ सुधर जाता है |

जीवन में आने वाले विभिन्न समस्या अपने आप ही दूर हो जाते है और इन्सान को सुख शांति प्राप्त हो लगती है | दिनचर्या में आनेवाली बाधाए और विघ्न दूर होते है और शारीरिक पीडाए भी कम हो जाती है | भगवान हनुमान अपने भक्तो की सदैव रक्षा करते है, उन्हें हर संकट से दूर रखते है |

हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक, बजरंग बाण इत्यादि को अगर “सिद्ध हनुमत पूजन यन्त्र” के सामने धुप, दीप इत्यादि जलाकर जपा जाए तो प्रभाव बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली होता है, अतः आप स्वयं इसका नित्य पाठ करे और प्रभाव देख ले |

संकटमोचन हनुमानाष्टक

बाल समय रबी भक्षी लिए तब
तीनहु लोक भयो अंधियारो |
ताहि सों त्रास भयो जग को
यह संकट काहु सों जात ना टारो ||
देवन आनि करी बिनती तब
छाडी दियो रबी कष्ट निवारो |
को नहीं जानत है जग में
कपी संकटमोचन नाम तिहारो ||१||

बाली की त्रास कपीस बसै गिरी
जात महाप्रभु पंथ निहारो |
चौंकी महामुनि शाप दियो तब
चाहिए कौन बिचार बिचारो ||
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु
सो तुम दास के सोक निवारो |
को नहीं जानत है जग में
कपी संकटमोचन नाम तिहारो ||२||

अंगद के संग लेन गए सिय
खोज कपीस यह बैन उचारो |
जीवत ना बचीहौ हम सु जु
बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो ||
हेरी थके तट सिन्दू सबै तब लाय
सिया-सुधि प्राण उबारो |
को नहीं जानत है जग में
कपी संकटमोचन नाम तिहारो ||३||

रावन त्रास दई सिय को सब
राक्षसी सों कहि सोक निवारो |
ताहि समय हनुमान महाप्रभु
जाय महा रजनीचर मारो ||
चाहत सिय असोक सों आगे सु
दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो |
को नहीं जानत है जग में
कपी संकटमोचन नाम तिहारो ||४||

बाण लाग्यो उर लछिमन के तब
प्राण ताजे सूत रावण मारो |
लै गृह बैध सुषेन समेत
तबै गिरी द्रोण सु बीर उपारो ||
आनि सजीवन हाथ दई तब
लछिमन के तुम प्राण उबारो |
को नहीं जानत है जग में
कपी संकटमोचन नाम तिहारो ||५||

रावन जुद्ध अजान कियो तब
नाग की फाँस सबै सिर डारो |
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल
मोह भयो यह संकट भारो |
आनि खगेस तबै हनुमान जु
बंधन काटी सुत्रास निवारो |
को नहीं जानत है जग में
कपी संकटमोचन नाम तिहारो ||६||

बंधू समेत जबै अहिरावन
लै रघुनाथ पटल सिधारो |
देबिहिं पूजी भली बिधि सों बलि
देउ सबै मिली मन्त्र बिचारो ||
जाय सहाय भयो तब ही
अहिरावन सैन्य समेत सँहारो |
को नहीं जानत है जग में
कपी संकटमोचन नाम तिहारो ||७||

काज किये बड देवन के तुम
बीर महाप्रभु देखि बिचारो |
कौन सो संकट मोर गरीब को
जो तुमसों नहीं जात है टारो ||
बेगी हरो हनुमान महाप्रभु
जो कछु संकट होय हमारो
को नहीं जानत है जग में
कपी संकटमोचन नाम तिहारो ||८||

दोहा –
लाल देह लाली लसे, अरु धरी लाल लंगूर |
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सुर ||

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